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Almass Chachuliya

Abstract

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Almass Chachuliya

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दोस्ती का रिश्ता

दोस्ती का रिश्ता

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दोस्तो की दोस्ती उस कशिश की तरह होती है,

जिनके होने से महफिल में रोनक सी आ जाती है,

हर शाम रंगीन सी लगने लगती है

ना हो गर दोस्त

तो जिन्दगी अधूरी सी लगती है!,


हर इक रिश्तों से बढ़कर

दोस्ती की डोर मज़बूत होती है

अहम और घमण्ड से परे इसकी सरहदें होती हैं,


जहाँ ना होता है, स्वार्थ

उस दोस्त की दिल्लगी ही अनोखी होती है

भर दे जीवन में मिठास ये वो हमजोली होती है!


दोस्तो की महफिल ही वो मधुशाला होती है,

जहाँ हँसी - मज़ाक की नशीली शाम होती है

उस शाम में नशा हो ना हो

हर गम वो मधुशाला भूला देती है,


गम और खुशी में मिलकर जो रहते हैं साथ

वो दोस्त होते हैं हमराज़

हर मुश्किल में कंधे पर आ जाता है जिसका हाथ

वो ही दोस्त जिन्दगी भर निभाता है साथ


खुद से ज्यादा जो परवाह दूसरो की किया करते हैं,

वो दोस्त नसीब वालों को मिला करते हैं,

दोस्त ही वो सौगात हैं,

खूबसूरत सा अहसास हैं,

जो दूर रहकर भी दिल का हाल जान लिया करते हैं,

गर ना हो मुलाक़ात

तो दुआओं में याद कर लिया करते हैं।



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