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Almass Chachuliya

Romance Fantasy

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Almass Chachuliya

Romance Fantasy

ग़ज़ल -वो लम्हा

ग़ज़ल -वो लम्हा

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हुई मोहब्बत किसी से गर तो

कभी टूटा दिल भी है,

हुई मोहब्बत किसी से गर तो

कभी टूटा दिल भी है,

वो लम्हा मोहब्बत का तो जिया हमने भी है,


हर पल हर लम्हा तो गुज़र रहा अब भी है,

लेकिन गुज़र चुका जो लम्हा मोहब्बत का

कहीं ज़िन्दा ज़हन में आज भी है,


न कुछ कह पाए वो, न हम कुछ कह पाए कभी

अनकही बातें दिल में मस्तूर आज भी है,

हर नज़रों में नज़र आते हो तुम ही

मेरी आँखों को तेरे दीद का इंतजार आज भी है,


थामें हाथों को मुसलसल देखते रहे वो इस तरह

कि फिर मेरी आँखों ने न देखा कभी कोई उसके सिवा

उसकी कत्थई आँखें तो दीदा-ए-मख़मूर आज भी है,


कोई शिकवा न शिकायत पहले थी, न आज भी तुझसे है,

देखकर तुझे फ़कत लगता है यहीं

दूर रहकर मुझ से तू मसरूर आज भी है,


सुबह शाम फरियाद करते है, हमदम तेरी

फिर भी न जाने इतना तकल्लुफ़ क्यों आज भी है,

देखकर तुझे ये धड़कने थम सी जाती है,

कहीं न कहीं दिल में अकीद़त ज़िन्दा आज भी है,


तू है मोहब्बत मेरी इसलिए दूर है,

तू है मोहब्बत मेरी इसलिए दूर है,

वरना तुझे पाने की ज़िद तो आज भी है,


हुई मोहब्बत किसी से गर तो

कभी टूटा दिल भी है,

वो लम्हा मोहब्बत का तो जिया हमने भी है ।



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