कविता -तोहफ़ा प्यार का
कविता -तोहफ़ा प्यार का
मिले नसीब से वो तोहफ़ा प्यार का
रब ने मेरे मुकद्दर में लिख दिया है,
आहिस्ता-आहिस्ता मेरे कल़्ब में उतर कर
तेरे प्रेम ने हरजाई वैरागी मुझे बना दिया है,
इतनी कशिश तेरी मोहब्बत में की
हर चाहत को तूने इक अंजाम दे दिया है,
निहारती हूँ खुद को आईने में तो अक्स तेरा ही दिखाई देता है,
रागिनी मैं तेरी तू मीत मेरा बन गया है,
थाम कर हाथ मेरा चल कर साथ मेरे
मुझे अपना हमसफ़र तूने बना दिया है,
वादा वफ़ा का ऐसा निभाया तूने रख दिया
सजदे में सर को तुझे अपना खुदा मैंने बना दिया है,
मिले जो नसीब से वो तोहफ़ा प्यार का
रब ने मेरे मुकद्दर में लिख दिया है।