रंगों का त्यौहार -होली
रंगों का त्यौहार -होली
आई रंगोली होली है, आई
फागुन के ठंडे बयार से
बज उठी दिल में उमंगों की शहनाई
छोड़ शीत ऋतु के मौसम को
ग्रीष्म ऋतु लेकर बाहर आई
आई आई होली है, आई
धरती ने सर पर ओढ़ी है, चुनरी नीली
खेतों में लहराए चहूँ ओर सरसों पीली
ली है मौसम ने ऐसी अंगड़ाई
आई आई होली है, आई
परम्परा की पहचान है होली
रंगों का त्यौहार है होली
सच है ये नहीं है कोई ठठोली
मिलकर रहना सब बन कर हमजोली
इन्द्रधनुषी रंगों को संग लेकर
प्रेम के रंग में रंग दो दुनिया सारी
ये रंग ना जाने कोई
मज़हब कोई जाति
आई आई होली है, आई
नीला, पीला चाहे रंग हो गुलाबी
तन - मन सबके भीग जाए
ऐसे होली रंग हैं लाई
लिए मुठ्ठी में इन रंगों को
धूम मची हैं गली-गली
सभी के जुबाँ पर एक ही बोली
आई आई होली है आई
कहीं राग कहीं फाग के गीतों में
मद - मस्ती की टोलियों ने
घोली भी है ठंडाई
सतरंगी शाम को लेकर
आई आई होली है आई
नफरत के काले रंग को धोकर
अपनेपन का रंग लगाने
भक्त प्रह्लाद को याद दिलाने
भेदभाव को मिटाने
हर बुराई को हराने
अच्छाई का दीप जलाने
आई आई होली है आई