नारी.स्त्री..मान..मर्यादा
नारी.स्त्री..मान..मर्यादा
भारतीय नारी.. पहनी है..सारी..
दिखती है .. उसमें वो अति सारी..
सादी वेशभूषा... सादा है.. उसका रंगरुप
है.. वो अपने आप में परिपूर्ण रूप..
फिर क्यो ना हो. वो. तन और मन से
हमेशा रहे स्वस्थ सुखद सादगी स्वरूप..
कहते है.. नारी हर एक पर भारी..
कभी सती –सावित्री कभी देवी अहिल्या..
कभी चंडी–चामुंडा तो कभी देवी माता..
बन जाती है..जब खुद पर आती है... रेशा..
सच्चे मन और दिल की है..वो सुरेखा..
फिर क्यों ना हो फिर वो सबपे भारी..
उसके बिना नहीं है.. आपका संसार...
वही है.. हर रुप रंग में आपका श्रृंगार..
शांत रुप ममता चित–मयी माया
जग पर भारी है.. नारी की हर काया ।
समय पड़े तो सबसे लड़ जाती है..
रोती है ...गिड़गिड़ाती है... पर..
चुप रहकर सब कुछ सह भी जाती है..
सुख –दुख अपना मन में समेट कर...
अपने ही पिया का आंगन है..महकाती..
कभी चुलबुली .. कभी अटखेलिया करती..
कभी आईने में अपने आप को निहारती..
अपनी ही.सादगी अपने ही मन को दिखाती ..
वही रूप है ...उसके जीवन की अपरम माया..
नही कोई दूजा है.. कर पाया उसकी काया..
वो खुद है ...अपनी ही मरमई छत्रछाया ।
वो है... सबकी अपनी अपनी जगत माता .
ऐसी हर एक भारत माता को अपना सलाम.
भारतीय नारी है.. अपनी संस्कृति का मान!
उसकी रक्षा करना है ..आप सबका कर्तव्य..
हर घर की नारी को मेरा दिल से सलाम..
नोट –हर घर में माता बहन भाभी है.. सबसे निवेदन है.. अपनी माता –बहन –भाभी का ध्यान रखें.. हर एक को अपने घर और बाहर सम्मान की नजर से देखे.
