जरुरी हैं
जरुरी हैं
दिन की भागदौड़ रात से रंजिशे
लम्हों पे अपने वक़्त की बंदिशे
जिंदगी को जुटने में ही कट जाता है
जिंदगी के लिए समय कहाँ बचता है
साँसों का हिसाब लगा बैठे हैं
सारी गिनती कर चुके हैं
तो जारी हैं जिंदगी की कसरत
मगर जीने को नहीं फुरसत
धड़कने जारी हैं मगर
दिल धड़कता कहाँ हैं!
बचपन से जवानी तक यूँ पलटते मंजर
दिल महसूस करने की जगह सोचने लग जाता है
यूँ कहे कि व्यंग हैं उत्क्रांति हैं
जो सीने में भी एक दिमाग़ हो रखा है
जो आसमाँ में पंख फैलाने की जगह
उसके आयाम नापता हैं
और ज़िन्दगीभर बस नापता ही रह जाता है
भीतर का वह नादान बच्चा जो सही में असमंजस है
जिंदगी का कतरा कतरा चखना जानता है
जी भर के रोता है खुल के हँसता है
जिसकी मोहब्बत में सौदे नहीं मासूमियत है
कोई बैर नहीं मन में बस जीने की साफ नियत है
जो अपनी मुट्ठी में सितारे रखता है
चेहरे पे मुस्कानों की फुहारे रखता है
जिसकी आँखों में सपनों के जुगनू चमकते हैं
जिसके सपनों में जिंदगी के अरमान पनपते हैं
जो मस्ती में झूमता है
खुशियों को चूमता है
अपनी ही दुनियाँ में बेबाक घूमता है
जो वक़्त के नाम अपने क़ीमती लम्हें बेचता नहीं
जिसका दिल बस धड़कता हैं सोचता नहीं
जिसको जज्बातों की गिनती नहीं आती
और जो ऊँची उडाने भरने से जी नहीं चुराता
जो जिंदगी को जाया नहीं करता... जीता है
खुलके जीता है...!
वह निष्पाप मासूम बच्चा जिसमें वाकई परमात्मा का अंश महसूस होता है...
क्यूँकि उसका मन बेदाग है!
जरुरी है उस बच्चे से लिपट जाना..
अपनी उस प्यारी परछाई में सिमट जाना..
जरुरी है जिंदगी के तजुर्बे उन सितारों की तरह
मुट्ठी में इकठ्ठा कर फिर से बच्चा बन जाना..
जिंदगी ख़त्म हो जाए इससे पहले जरुरी है
कि हम जी लें..!
