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Madhu Vashishta

Inspirational

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Madhu Vashishta

Inspirational

भैया दूज

भैया दूज

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 पच पर्वों का पांचवा त्यौहार

भाई दूज है उसका नाम।  

     

कार्तिक मास की शुक्ल द्वितीया

मिलूंगी तुमसे मैं प्यारे भैया।


तेरी लंबी आयु की प्रार्थना करूंगी।

प्यार से भैया तुझे तिलक करूंगी।


सूर्य के पुत्र पुत्री थे यम और यमुना।

शुक्ल द्वितीया को यम गए थे बहन यमुना के घर।


उस दिन दोनों की खुशियों से क्या था कहना।

यमुना ने भैया यम का सत्कार किया था।


प्रत्येक वर्ष आने का वादा भी लिया था।

यमजी ने उन्हें आशीर्वाद दिया था।


भाई बहन के प्रेम को अमर किया था।

तब से प्रत्येक वर्ष मिलते हैं भैया बहना।


रोली चंदन से पूजन कर भैया का,

गोले पर तिलक लगाती है प्यारी बहना।


लंबी उम्र हो भैया की, 

परमात्मा से बस यही मांगती है बहना।


यम, यमुना सा अमर रहे प्रेम दोनों का।

प्रत्येक वर्ष मिलते रहे सब भाई बहना।


सूर्य देव कृपा दृष्टि बनाए रखना

सुखी रहे सब भाई बहना।


सुंदरता त्योहारों की यही तो है

दोनों घरों की जान बहन ही तो है।


देवी कन्या रूप से देवी लक्ष्मी रूप में आई बेटी।

अन्य धान्य से भरकर अपना ससुराल

अब मायके में भी खुशियां बिखेरने आई बेटी।


बाबा मैया भैया के खिल गए अंग अंग।

फिर भरा भरा सा लगने लगा घर का आंगन।


भैया को भी वही पुराने खेल खिलौने ,यादें आई है।

गले मिले दोनों, देखो घर आई घर की जाई है।


भाई बहन का पावन त्यौहार

ना आ सके बहन तो भाई है जाने को तैयार।


मैया ने बहन के लिए पिटारा भैया को थमाया है।

उसे पिटारे में मैया का पूरा प्यार समाया है।



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