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V. Aaradhyaa

Inspirational

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V. Aaradhyaa

Inspirational

दीपमाला

दीपमाला

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अबके दिवाली पर क्यों ना जीवन के बुझते दीपों में ;

हम सब मिलकर नव आशाओं के नवदीप जलाएं !


जिन दुखियों के अंतस्तल में दारुण दुःख लहराता ,

उनके हृदयों में उम्मीद से भरा हुआ संदेश सुनाएं !


जिन प्राणों में अब कोई ख़ुशी के अरमान बचे नहीं,

उन स्वप्नों भावों में नूतन विचार नश्वरता के भर जाएं !


दुःख संताप से भरे कुछ नयनों के अश्रु पोंछकर ,

मृतप्राय से तन मन में में नवजीवन का संचार कराएं !


हम दिव्य दिवाकर और भारत के प्रकाश पुंज हैं ,

अपनी रौशनी से तमाम जग को जगमग कर जायें !


प्रेम की ज्योति से तन मन के सब तिमिर हटायें ,

दसों दिशाएं आलोकित करें, संस्कृति के दीप जलाएं !


गौरव स्वाभिमान के धनी बनने का प्रयास करें हम ,

अपनी विद्वता से ज्ञान, विवेक के राजहंस बन जायें !


शुभता, सुचिता, संस्कृति, संस्कार के दिये जलायें ,

धरा पर नित नव नूतन नवल मुकुल कमल खिलायें !


द्वेष ईर्ष्या कुंठा का गरल शिव जैसे बनकर पी जायें ,

कष्ट और कंटक पथ के दूर करें, संकट से ना घबरायें !


कर्म की तपती भूमि है यह कर्मठ की कर्म भूमि है ,

ज्ञान का तेल, कर्म बाती बनकर स्वयं को दिया बनायें !


ईश्वर जो विशिष्ट आकृतियां और आकार बनाता ,

हम सब मिलकर उस कर्तव्य प्रेरणा के स्त्रोत बनायें !


दीवाली की संध्या ऋद्धि, सिद्धि अणिमा, गरिमा पूज आएं ,

गणपति रमा व उमा ब्रह्माणी की, शक्ति असीमित दर्शाएं !


शुभ अवसर पर दिव्य दिवाकर की अनुपम की छटा सजाएं ,

घर द्वार सब धवल स्वच्छ बने प्रकृति सृष्टि वरदायी बनाएं !


निर्बल का बल निर्धन का धन बनकर, देश का दारिद्र भगायें ,

तन मन धन सब स्वच्छ करें, भारत का वैभव भाग्य जगायें !


शुभ दीपावली आयी है, प्रदूषण रहित उमंग भरा उल्लास मनायें ,

तन मन के सब तिमिर हटायें, आओ सब मिलकर दीप जलायें !


हम दिव्य दिवाकर भारत के प्रकाश पुंज हैं, जग को जगमग कर जायें ,

निराशाओं के मरुस्थल को उपवन में बदलें, खुशी के अगणित दीप जलाएं !


दीन दुखियों के मन मंदिर में भी, उल्लास का अभिनव एक दिया जलाएं ,

आओ जीवन के बुझते दीपों में, हम सब मिलकर दीपमाला सजाएं !



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