मेरा मानना है...।
मेरा मानना है...।
दूर नजरों से बेशक होते हैं बच्चे,
पर आंखें उनका करती हर पल इंतजार है,
फोन की घंटी जब जब बजती,
मां के चेहरे पर आ जाती मुस्कान है,
काम छोड़ सारा भागती हुई जाती है,
पर बेटे का फोन नहीं है यह सोच मायूस हो जाती है,
पर जैसे जैसे बढ़ती उसकी उम्र,
बच्चो का इंतजार उसे तड़पाता है,
आंखों में वो तड़प नजर आती है,
पर न जाने क्यों बच्चे वो प्यार नहीं समझ पाते,
क्यों जिन्होंने पूरी जिंदगी दे दी
उनको कुछ वक्त नहीं दे पाते हैं?
क्या जाएगा तुम्हारा एक फोन करने में,
और वहां मां की जिंदगी संवर जाएगी,
आपको नजरों से दूर भेजा था,
आपके सपनों को पूरा करने के लिए,
न कि उनसे दूर हो जाने को,
आपकी ख्वाहिशें पूरी हो,
इसलिए कलेजे पर पत्थर रखा था,
आप उनको भूल जाओगे यह न उन्होंने कभी सोचा था,
जिंदगी आपको उन्होंने दी चलना आपको उन्होंने सिखाया,
अब उनको यूं पल पल तड़पाते हो,
क्या कभी सोचा अगर वो न होते तो क्या देख पाते तुम यह दुनिया?
क्या सोचा कभी वो नहीं करते परिश्रम तो कैसे पूरे होते तुम्हारे सपने?
क्या कभी उनके दिल का हाल समझने की कोशिश की?
नहीं,क्योंकि इसकी जरूरत कभी महसूस नहीं हुई,
पर याद रखो सपनों को पूरे करने का आसमां भी पापा देते हैं,
और तुम्हारे सारे नखरों को भी पापा उठाते हैं,
चाहे बेशक तुम कैसा भी उनके साथ बर्ताव करो,
पर हां एक दिन वो भी थक जाएंगे,
उनको भी वो प्यार और देखभाल की आवश्यकता होगी,
क्या जब तुम उनका वैसा ध्यान रख पाओगे,
जैसा उन्होंने तुम्हारा बचपन में रखा था,
नहीं न,क्योंकि तुम उनको बोझ समझते हो,
और उनकी देखभाल के लिए एक नौकरानी रख लोगे,
पर काश उस समय वो भी ऐसा करते,
तो शायद तुम्हें उनकी कीमत समझ आती,
और तब शायद तुम समझ पाते,
कि उस समय कैसा महसूस होता होगा
जब तुम्हें अपने बच्चों की आवश्यकता होगी
तब वो अपनी लाइफ में व्यस्त रहेंगे,
और तुम उनके प्यार और देखभाल के लिए तरसोगे,
क्योंकि कहते हैं न वक्त सभी का आता है,
आज तुम्हारे माता-पिता उस स्थिति में है,
कल तुम उस स्थिति में खुद को पाओगे।
