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Ankit Tigunayak

Abstract Inspirational

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Ankit Tigunayak

Abstract Inspirational

हे नारी अब मौन न रहना

हे नारी अब मौन न रहना

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कब तक एक अबला को छलते जाओगे

कब तक नारी के सम्मान से खेलते जाओगे

जब भी नारी के सम्मान को रौंदा जाता है

उस असहाय की पीड़ा से भगवान भी रोता है


हे नारी! अब मर्यादा के बंधन में मौन न रहना

त्याग अबला के चोले को दुर्गा रूप दिखा देना

तोड़ के सारे बंधन स्वंम शक्ति से परिचय कर लेना

दामन पर होते अत्याचारों में विद्रोही अग्नि जगा देना


अब कोई अर्जुन नहीं धरा पर जो तेरी लाज बचायेगा

स्वंम गांडीव उठा कर में पापी मस्तक का लहू बहा देना

कोई भीम नहीं जग में जो रक्त दुशासन का लायेगा

स्वंम प्रहरी बन कर तुम दुशासन का सीना चीर दिखा देना


हे चक्र सुदर्शन धारी क्या तेरा दिव्य सुदर्शन जीर्ण हुआ

हे महादेव क्या शस्त्र तुम्हारा नतमस्तक या मौन हुआ

हे परमपिता क्या न्याय तुम्हारा सठ मानुष का दास हुआ

क्या नारी की संरचना से इस पापी जग में अन्याय हुआ


औरत के दामन पर कोई मैला दाग लगा जाता है

आज अपराधी भी ससम्मान निरपराध हो जाता है

कानूनी दुर्बलता पर अपराधी पूर्ण निरंकुश होता है

क्यों जग में बहनों का आँचल न्याय से वंचित होता है


हे नारी अब स्वंम ही निज कर में शस्त्र उठा लेना

मानवता के दुश्मन की तुम शोणित धार बहा देना

नारी शक्ति से हर दानव को अवगत आज करा देना

चूड़ी पहने कर कमलों में शस्त्र सुसज्जित कर लेना


        


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