राक्षस रावणों से युक्त, राम भी अपने को असहाय पा रहे हैं! राक्षस रावणों से युक्त, राम भी अपने को असहाय पा रहे हैं!
अक्सर ऐसे मंजर से बचता हूँ...। अक्सर ऐसे मंजर से बचता हूँ...।
जब मैं अपने को असहाय पाता हूँ तो भी हँसता है हँसता ही रहता है। जब मैं अपने को असहाय पाता हूँ तो भी हँसता है हँसता ही रहता है।
तूने गर मुझको संवारा नहीं मैं बना रहूँगा कंगाल मैं हूँ गरीब..... तूने गर मुझको संवारा नहीं मैं बना रहूँगा कंगाल मैं हूँ गरीब.....
कानून नामक सख्श भी, विचित्र है, भीड़ का अपना हीं,एक चरित्र है। कानून नामक सख्श भी, विचित्र है, भीड़ का अपना हीं,एक चरित्र है।
दो गज ज़मीन की तलाश तो है जहां वह रह सके सुकून से दो गज ज़मीन की तलाश तो है जहां वह रह सके सुकून से