कुछ ख़्वाब
कुछ ख़्वाब
कुछ ख्वाब अधूरे भी अच्छे लगते हैं..
जैसे ख्वाब तेरे, मेरा हो जाने के
तेरा भी मुझे दीवानगी की हद तक चाहने के
तेरे साथ हर वादे को निभाने के
तेरी आंखों में देखकर उसमें ही खो जाने के
तेरी रूह में उतर कर तेरी पहचान बन जाने के
तेरे माथे पर गिरे हुए बालों को अपने हाथों से हटाने के
तेरी घड़ी में उलझे उस दुप्पटे को सुलझाने के
ख्वाबों से निकालकर तुझे हकीकत में पा जाने के
तेरे साथ दुआ मांगकर तेरे सजदे में सर झुकाने के
तेरा हाथ थामकर पूरी दुनिया घुम आने के
तेरे साथ जीने और तेरी बाहों में मर जाने के.......
हां....कुछ ख्वाब हकीकत से कहीं ज़्यादा खूबसूरत होते हैं!