वक़्त
वक़्त
जरुरत का आदमी था अब फ़िजूल बन गया
दिल के रेशों से बने फंदे का मक़्तूल बन गया
अब मुझे देखने से भी उनकी आँखें खटकती है
शायद प्यार के धुंए से अब जमीं की धूल बन गया
जरुरत का आदमी था अब फ़िजूल बन गया
दिल के रेशों से बने फंदे का मक़्तूल बन गया
अब मुझे देखने से भी उनकी आँखें खटकती है
शायद प्यार के धुंए से अब जमीं की धूल बन गया