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Surendra kumar singh

Abstract

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Surendra kumar singh

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सूचनाओं का आलम

सूचनाओं का आलम

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सूचनाओं का आलम है

अवधारणाओं की सम्पुष्टि की अनगिन,

और जो नहीं है उसके होने की

असहज करने वाली सूचनाओं के

बीच से गुजरते हुये हम

ढूंढ रहे हैं 

मनुष्य होने की एक सूचना।

यकीन मानिये

विस्मय में है कि जिस सूचना को

हर जगह होना चाहिये

कहीं नहीं है।

सूचनाओं के व्यापार की

एक लम्बी फेहरिस्त है

झूठ पर परम सत्य का लेबल है

परम सत्य सन्यास के अनुक्रम में

बाजार से बाहर है

जब कि उसका अपना बाजार था।

राजा  कहते हैं जिसे

वो भी सूचना प्रदाता का गुलाम है

दिलचस्प प्रबंध है

बस एक बार उसकी हां में

हां मिलानी होती है

अपनी प्रशंसा के किसी संदर्भ में

आजीवन गुलाम बने रहने के लिये।

खैर मनुष्य होने की सूचना से

अभी तक मरहूम हम

कह रहें हैं हम मनुष्य हैं

ये कोई सूचना हो ना हो

सच तो है

जैसे कि अभी बहुत दूर हैं हम

सूचना प्रदाता संस्थान से।

फिर भी एक बात शेयर कर रहे हैं

कि अपनी प्रशंसा के कारोबार में

कभी झूठे प्रशंसक को

उसी नजरिये से देखो

जैसे कोई तुम्हें

तबाह करने निकला है। 


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