किसान
किसान
सर पर पगड़ी , कंधे पे अंगौछा,
धोती पहने हाथ में हल लेकर,
बंजर ज़मीन को उपजाऊ बनता है किसान ।
जाड़ा, गर्मी या बरसात,
मेहनत कर दिन रात,
धरती से अनाज उगाता है किसान।
उम्मीदों से जो बीज है बोता,
मिट्टी से फसल उगाता है,
पेट भरता है जो हम सबका,
किसान वही कहलाता है।
दिन रात मेहनत कर,
खुद दो वक़्त सूखी रोटी खाते है,
देश में कोई भूखा न सोये ,
इसलिए किसान इतनी फसल उगाते हैं ।
हम कितने भी मॉडर्न हो जाए,
बिना किसान के न रह पाएंगे,
कपड़े पहने कितने भी ब्रांडेड,
किसान की उगाई दाल रोटी ही खाएंगे।
किसान का जीवन एक आदर्श जीवन की परिभाषा है,
जो परिश्रम, त्याग और संतोष कर दुनिया की भूख मिटाता है।
