पाप का साम्राज्य
पाप का साम्राज्य


चारों ओर फैली तन्हाई है,
क्यूंकि पाप के साम्राज्य ने अपनी चादर फैलाई है,
पैसों की लालच ने भाई से भाई की गर्दन कटवाई है,
सत्य की हर तरफ हो गई रुसवाई है,
सत्ता की लालच में युद्ध की अगुवाई है,
गरीबी से लोगो ने फ़ासी लगाई&
nbsp;है,
माँ - बहनो ने अपनी लाज गुंडों के हाथों गवाई है,
अदालत में न हो रही सुनवाई है,
थक कर लोगों ने भगवान् से गुहार लगाई है,
पर लगता है ऐसा दुआ भी वापस ज़मीन पे लौट आई है,
चारों ओर फैली तन्हाई है।