युद्ध पे कविता
युद्ध पे कविता


बहुत हो गया अब युद्ध,
अब हमें चाहिए गौतम बुद्ध।
क्यूंकि हिरोशिमा और नागासाकी की सिसक अभी बाकी है,
कारगिल की गूँज आज भी हमें सताती है।
इसीलिए यह जंग की तलवारें हमारे सर से हटा दो,
बारूद के ढेर तो हटा दो।
क्यूंकि अब हम सुख से जीना चाहते हैं,
हम अब विनाश नहीं सृजन चाहते है।
हम अब युद्ध नहीं,
गौतम बुद्ध चाहते हैं।