जादू पे कविता
जादू पे कविता


तेरी अदाओं का जादू मेरे ऊपर हावी है,
एसिडिटी की जगह तू दिन भर याद आने लगी है।
मेरी रातों की नींदे गायब होने लगी हैं,
मेरी जेब अब खाली रहने लगी है।
मेरी कमाई अनलिमिटेड डाटा में जा रही है,
तेरी छोटी बहन मेरे पैसे की चाऊमीन खा रही है।
महीने की बीस तारीख से ही कड़की छाने लगी है,
पापा की पॉकेट मनी की याद आने लगी है।
दोस्तों की उधारी चढ़ने लगी है,
महंगाई की मार पड़ने लगी है।
तेरी अदाओं का जादू मेरे ऊपर हावी है,
एसिडिटी की जगह तू दिन भर याद आने लगी है।