आ मिल बाटकर जी ले हम हमारी ज़िन्दगी को अपने रिश्ते में। आ मिल बाटकर जी ले हम हमारी ज़िन्दगी को अपने रिश्ते में।
किराये के कमरों में रहते हुए कि विवशता, कुढ़न और भड़ास है ये नज़्म। किराये के कमरों में रहते हुए कि विवशता, कुढ़न और भड़ास है ये नज़्म।