सर्दी पे कविता
सर्दी पे कविता

1 min

158
सर्दी लगी है अब अपने रंग ज़माने,
लोग निकल दिए है अपने घर से मूँगफलियाँ लाने,
बैठे हैं सब आग जलाने,
क्यूंकि हाथ - पैर सबके लगे है ठन्डाने,
गृहिणियां लगी है गरमा गरम पकौड़ी बनाने,
सारे हलवाई लगे है गज़क बनाने,
देखो आ गए है सर्दी के दिन सुहाने।