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Chhavi Srivastava

Others

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Chhavi Srivastava

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दिवाली पे कविता

दिवाली पे कविता

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आओ आज दिवाली मानाने का हुनर सीखें हम,  

वज़ूद अपना बनाने का हुनर सीखें हम,  

दीप से दीप जलाकर सबका घर रोशन करने का हुनर सीखें हम ।  

 

समेट लें सारी खुशियां,  

अपनों के प्यार के साथ ।  

 

मिट जाए सब तरफ का अँधियारा,  

दीपों की जगमगाहट के साथ ।  

 

बरसे सब पर माँ लक्ष्मी की कृपा,  

हो सब पर सुख समृद्धि की वर्षा ।   

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धन आपस में बात-बूट कर,  

आपस में एक नाता जोड़ें ।  

त्यौहार के उमंगों की फुलझड़ियाँ,  

घर-घर छोड़े । 

 

छोड़ पटाखे न करें पर्यावरण ख़राब,  

अगली पीढ़ी को भी तो देना है जवाब हमे जनाब ।  

 

आओ आज दिवाली मानाने का हुनर सीखें हम,  

वज़ूद अपना बनाने का हुनर सीखें हम,  

दीप से दीप जलाकर सबका घर रोशन करने का हुनर सीखें हम ।  

   

 


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