दिवाली पे कविता
दिवाली पे कविता


आओ आज दिवाली मानाने का हुनर सीखें हम,
वज़ूद अपना बनाने का हुनर सीखें हम,
दीप से दीप जलाकर सबका घर रोशन करने का हुनर सीखें हम ।
समेट लें सारी खुशियां,
अपनों के प्यार के साथ ।
मिट जाए सब तरफ का अँधियारा,
दीपों की जगमगाहट के साथ ।
बरसे सब पर माँ लक्ष्मी की कृपा,
हो सब पर सुख समृद्धि की वर्षा ।
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धन आपस में बात-बूट कर,
आपस में एक नाता जोड़ें ।
त्यौहार के उमंगों की फुलझड़ियाँ,
घर-घर छोड़े ।
छोड़ पटाखे न करें पर्यावरण ख़राब,
अगली पीढ़ी को भी तो देना है जवाब हमे जनाब ।
आओ आज दिवाली मानाने का हुनर सीखें हम,
वज़ूद अपना बनाने का हुनर सीखें हम,
दीप से दीप जलाकर सबका घर रोशन करने का हुनर सीखें हम ।