STORYMIRROR

Chhavi Srivastava

Abstract Others

4  

Chhavi Srivastava

Abstract Others

विषाद पे कविता

विषाद पे कविता

1 min
212



  

विषाद भी बहुत जरूरी है जीवन में, 

क्यूंकि वो सुख को परिभाषित करता है। 

  

विषाद चलता है हर वक़्त मेरे साथ में , 

क्यूंकि अब यह मेरा दोस्त बन गया है।  

  

विषाद तो उन पत्थरों के भी पास है,  

जिन्हें तराश के देवता&

nbsp;बना दिया गया है।  

  

विषाद तो जीवन का सार है , 

इसके साथ जीना हमको समझना है । 

  

अब लगता है ठीक ही कहा ग़ालिब ने,  

कि बढ़ते - बढ़ते विषाद ही दवा बन जाता है।  

  

  

  

   

 

 


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract