क़लमकार
क़लमकार
मकसद नहीं बतलाना,
आपकी कोई अग़लात।
कलम चलाने से पहले,
ध्यान रहे कुछ ऐहतियात।
क़लमकार का लोग यहां,
करते हैं अनुशरण आदाब।
ऐसी कलम चलाओ चमको,
जैसे गगन में आफ़ताब।
करें तसब्बुर कुरीतियों पर,
गलत बात का देव जवाब।
मिले सुकून देखना करके,
कोशिश करो हरो अज़ाब।
आलोचक,कवि,लेखक भी,
न एहतमाम पर करेंगे वार।
सही बात यदि लिख न पाएँ,
तो धिक्कार है बारम्बार।
सरस्वती के बेटे हमको,
नहीं चाहिए सर का ताज।
लेकिन सच का साथ न छोड़ें,
चाहे हो जाएं मोहताज।