चमचमाती रात
चमचमाती रात
चांदी की तरह चमचमाती रात थी----
तारों की बारात थी
कल्पना की सीढ़ी,
बनाकर, रात भर-----
हम चांद छूने की,
ख्वाहिश करते रहे,
फलक पर छिटके
तारों के नीचे,
नए-नए ख्वाब
बुनते रहे,।
ख्वाबों की ताबीर करते-करते
कविताएं नई नई
रचते रहे----
सितारों से सजी----
रात के आगोश में----‐
सोना भी एक ख्वाब ही था-----
वरना तेरे शहर की----
जगमगाती रोशनी में,
सितारे दिखना भी
इक ख्वाब था-----
इन जगमगाती रोशनियों से परे----
रोज भेजती हूं----- अर्जियां
सितारों को करीब आने की-----
कल्पना की सीढ़ी बनाकर
रात भर ---इस- चमचमाती रात के साये में,
तेरा अक्स तलाशते रहे!
तुम तारों की तरह----
रात भर चमकते रहे,
हम शान से----
तन्हा तन्हा भटकते रहे!
तुम तो गुजरा वक्त थे,
तुम्हें कभी ना आना था----
हम तन्हा तन्हा रात गुजारते रहे
कल्पना की सीढ़ी बनाकर
तारों के नीचे----
इस चमचमाती रात में-----
रात भर
तन्हा तन्हा सफर गुजारते रहे।
