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Ashu Kapoor

Abstract

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Ashu Kapoor

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चमचमाती रात

चमचमाती रात

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  चांदी की तरह चमचमाती रात थी----

   तारों की बारात थी

   कल्पना की सीढ़ी,

   बनाकर, रात भर-----

  हम चांद छूने की,

   ख्वाहिश करते रहे,

   फलक पर छिटके

   तारों के नीचे,

   नए-नए ख्वाब

   बुनते रहे,।

   ख्वाबों की ताबीर करते-करते

    कविताएं नई नई

    रचते रहे----

   सितारों से सजी----

रात के आगोश में----‐

सोना भी एक ख्वाब ही था-----

वरना तेरे शहर की----

 जगमगाती रोशनी में,

  सितारे दिखना भी

 इक ख्वाब  था-----

इन जगमगाती रोशनियों से परे----

रोज भेजती हूं----- अर्जियां 

सितारों को करीब आने की-----

कल्पना की सीढ़ी बनाकर

रात भर ---इस- चमचमाती रात के साये में,

तेरा अक्स तलाशते रहे!

 तुम तारों की तरह----

रात भर चमकते रहे,

हम शान से----

तन्हा तन्हा भटकते रहे!

 तुम तो गुजरा वक्त थे,


तुम्हें कभी ना आना था----

हम तन्हा तन्हा रात गुजारते रहे

कल्पना की सीढ़ी बनाकर

तारों के नीचे----

इस चमचमाती रात में-----

रात भर

तन्हा तन्हा सफर गुजारते रहे।



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