मुक़ाम हैं सामने खड़ा पर रास्ते अंजान हैं मुक़ाम हैं सामने खड़ा पर रास्ते अंजान हैं
मन आंगन में यौवन जैसे, इंतजार की चितवन जैसे, नई बहार के सावन जैसे होते हैं... मन आंगन में यौवन जैसे, इंतजार की चितवन जैसे, नई बहार के सावन जैसे होते हैं...
बस डर के साये में जीने लगे। बस डर के साये में जीने लगे।
लगन सच्ची हो तो लगन सच्ची हो तो
तुम तो रुह के साये में महफूज़ हो, सांसों के अंगारों से उलझोगे क्या, तुम तो बांहों में महफूज़ हो...... तुम तो रुह के साये में महफूज़ हो, सांसों के अंगारों से उलझोगे क्या, तुम तो बांहों...
मैं और भी तन्हा बेज़ार हुआ जाता हूँ जब भी महफ़िल में मैं और भी तन्हा बेज़ार हुआ जाता हूँ जब भी महफ़िल में