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Mr. Akabar Pinjari

Abstract

5.0  

Mr. Akabar Pinjari

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कुछ अनकहे रिश्ते

कुछ अनकहे रिश्ते

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कुछ अपने हैं तो कुछ पराये हैं,

लगता है कि हमारे साये हैं,

अपनत्व से भरें होते हैं,

 कुछ अनकहे रिश्ते।


दो पल की दूरी है,

फिर भी क्यों जरूरी है,

कभी आधे कभी पूरे होते हैं,

कुछ अनकहे रिश्ते।


मन आंगन में यौवन जैसे,

इंतजार की चितवन जैसे,

नई बहार के सावन जैसे होते हैं,

कुछ अनकहे रिश्ते।


मदमस्त ख्वाबों में बसे,

जबरदस्त यादों में हंसे,

मतलबपरस्त नशे से होते हैं,

कुछ अनकहे रिश्ते।


धीरे-धीरे- से मित मुस्काएं,

कभी दुखों में भी हमें हंसाएं,

आफ़त में बचाने खड़े होते हैं,

कुछ अनकहे रिश्ते।


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