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Mr. Akabar Pinjari

Abstract

4.9  

Mr. Akabar Pinjari

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जिंदगी खेल नहीं है

जिंदगी खेल नहीं है

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जिंदगी खेलने नहीं हार जाने का,

ये तो वो सफ़र साथ निभाने का,

जो हालातों पर कुछ कर गुजरने का,

एक नया इतिहास बनाने का


रिश्तो में पनपते हैं, उम्मीदों के पौधे,

यह मौका है दरख़्तों के मीठे फल खाने का,

और हवाओं के झोंकों में, खुद को झुलाने का,

क्योंकि जिंदगी खेल नहीं है हार जाने का।


वह धड़कन आबाद रहे मेरे दर की,

वह ख्वाहिशें आबाद रहे मेरे घर की,

यह ज़माना नहीं है दिल से लगाने का,

क्योंकि जिंदगी खेल नहीं है हार जाने का।


यहां हर वक्त धोखेबाजी, मक्कारी और दग़ाबाज़ी की जाती है,

कहीं फ़रेबी तो कहीं बेदर्दी और लापरवाहीं में बगावत की जाती है,

ये माहौल है, रंग बदलूं फ़ितरतों के दांव लगाने का,

पर फिर भी याद रखना, ये जिंदगी खेल नहीं है हार जाने का।


कभी ग़म तो, कभी खुशी का मिलन भी होगा,

कभी अच्छा तो, कभी बुरे का चलन भी होगा,

कभी उजड़ता चमन, तो कभी उड़ती पतंग भी होगा,

बस इतना याद रखना, ये जिंदगी खेल नहीं है हर जानें का।


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