क्योंकि लड़के रोते नहीं
क्योंकि लड़के रोते नहीं
न जाने क्यों, लड़कों की मजबूरी को, समझते नहीं,
पत्थरों की तरह होते हैं, इसलिए पढ़ते नहीं,
चुपचाप सह लेते हैं, सारे ताने यूं ही, कुछ भी कहते नहीं,
यारों, क्योंकि लड़कें कभी रोते नहीं।
लड़का होने का दर्द, कहां बताया जाए,
सब छुप-छुपकर आंसुओं में बहाया जाएं,
क्या कभी सोचा है, कि सारी-सारी रात वे, क्यों सोते नहीं,
यारों, क्योंकि लड़कें कभी रोते नहीं।
बगावत करते हैं क्यों, कभी सोचा नहीं,
इबादत करते हैं, लेकिन कभी दिखाया नहीं,
नज़ाकत होती है, लेकिन कभी इतराया नहीं,
यारों, क्योंकि लड़कें कभी रोते नहीं।&
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कठोरता का लेबल, लगाया जाता है,
किरदार-ए-जिंदगी, उनसे ही निभाया जाता है,
वह कभी तकलीफ़ों में, होते ही नहीं,
यारों, क्योंकि लड़कें रोते नहीं।
मां-बाप,बहन, बीवी, बच्चें सबका, अधिकार जताया जाता है,
इस नन्हें से दिल को हज़ारों टुकड़ों में, लुटाया जाता है,
दो लफ़्ज उनकी बंजर ज़मीं पर, कोई बोते नहीं,
यारों, क्योंकि लड़कें रोते नहीं।
ख़ामोशियों में, हज़ारों तूफ़ान सजाते हैं,
यह बेचारे, अपनी हालत कहां बताते हैं,
आजकल इतने समझदार, कहीं भी होते नहीं,
यारों, क्योंकि लड़कें रोते नहीं।