समझौता जिंदगी से
समझौता जिंदगी से
जाने अनजाने ही
पैबंद लगने लगे,
खुले आसमान का
स्वप्न देखने की
गुस्ताखी समझने लगे।
अब सीधी लकीर
पर ही चलेंगे,
न सुधार न विचार।
हर बात से दूर रहेंगे,
बस डर के साये में जीने लगे।
जाने अनजाने ही
पैबंद लगने लगे,
खुले आसमान का
स्वप्न देखने की
गुस्ताखी समझने लगे।
अब सीधी लकीर
पर ही चलेंगे,
न सुधार न विचार।
हर बात से दूर रहेंगे,
बस डर के साये में जीने लगे।