महफूज़ हो
महफूज़ हो
मेरे इश्क की तड़प समझोगे क्या
तुम तो रुह के साये में महफूज़ हो
सांसों के अंगारों से उलझोगे क्या
तुम तो बांहों में महफूज़ हो
तुम वक्त से मेरे दूर जाओगे कहाँ
हर गुजरते लम्हे में महफूज़ हो
मेरी दुआ से ख़ुद को बचाओगे कैसे
हर आयत के लफ़्ज़ों में महफूज़ हो...