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Adarsh Kumar

Romance

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Adarsh Kumar

Romance

ख्वाहिश

ख्वाहिश

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काश कभी यूं भी तो हो कि..

 

नीली सी कोई रात हो सितारों से भरी

ना किसी का डर हो और ना आंखों में नमी

तूं आए मेरे पास चुपके से और आंखों पर हाथ रख दे

तेरे क़दमों की आहट ने तुझसे पहले ही तेरे आने का इशारा किया हो

छू कर तेरे हाथ को मैं ' ज़िन्दगी ' बोल कर आंखो से हटाऊं

तुझे सामने देखने के बाद बस तुझपे वारी जाऊं।

 

तेरे बालों को पीछे हटाकर मैं तेरे माथे को चूम लूं

तेरी आंखो से बहते हुए उन आंसुओं का क्या मोल दूं

तेरे..मेरे इतने करीब होने को हकीकत मान लूं या

कहीं ये कोई खूबसूरत ख्वाब तो नहीं सोचकर खुद को चुंटी काट लूं!


उस ज़िन्दगी को जो तेरे बिना ज़िन्दगी थी ही नहीं को भूल जाऊं

तुझे पा लेने का करूं खुदा को शुक्रिया या तेरे ही सजदे में सर को झुकाऊं

तुझे पा लेने के सपने या तुझे खो देने के डर में जो रातें रो रो कर कटी थी, क्या उनका भी आज हिसाब होगा

सिमट कर अपनी बाहों में तेरी बाहों में सो जाऊं मैं और क्या मेरे सिर पर तेरा हाथ होगा

ख्वाहिश ये मेरी कभी किसी रोज़ मुकम्मल होगी

या किस्मत में मेरे तूं एक अधूरा ख्वाब होगा।



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