शक्ति पर्व में
शक्ति पर्व में
वैसे तो पूरी कायनात ही
तुम्हारा प्रेम है माँ
पर ये जो शक्ति पर्व है
नव रात्रि नामक
कुछ खास है,
परम्परा ही सही।
चारों तरफ तेरे भिन्न भिन्न रूपों की
अनगिनत कथाएं चल रही हैं
गीत बज रहे हैं
भजन हो रहा है
और तुम मेरे पास हो।
कहते हैं लोग
तुम्हारे प्रति कृतज्ञता का भाव ही
सबसे बड़ी पूजा है,
न तुम्हारी कोई मूर्ति,
न तुम्हारा कोई मंदिर सा निश्चित स्थान
बस कृतज्ञता का ज्ञापन
तुम्हारी सबसे बड़ी पूजा है,
और मैं जीवन की
कल्पना भी नहीं कर सकता तुम्हारे बिना
जीवन जैसे तुम
एक शक्ति
और अगर हमने इस चलते हुए
शक्ति पर्व में अपने को शक्तिमान
होने का अहसास भी नहीं किया
तो कितने अनभिज्ञ हैं हम तुमसे
इस चलते हुये शक्ति पर्व में
कैसे लौटा सकते हैं
वो सब
वो सब इस दुनिया का लिया हुआ
तुमने तो कह दिया है
मैं तुम्हारी माँ हूँ
लेकिन तुम्हारे लिये कुछ कर नहीं सकती
पर जिसका जो कुछ लिए हो
लौटा दो
और सचमुच मां हमें अपने
शक्तिमान होने का अहसास हो रहा है
तुम्हारे पास होने भर से
इस जीवन युद्ध में।