सुरभित हैं दिग दिगन्त आ गया बसंत सुरभित हैं दिग दिगन्त आ गया बसंत
गुणगान नहीं नारी का – अभिनंदन बारम्बार करो ! वंदन बारम्बार करो ! गुणगान नहीं नारी का – अभिनंदन बारम्बार करो ! वंदन बारम्बार करो !