STORYMIRROR

Dr. Anu Somayajula

Abstract

4  

Dr. Anu Somayajula

Abstract

नारी का वंदन

नारी का वंदन

1 min
377

गुणगान नहीं

नारी का

वंदन बारम्बार करो ।


आदि शक्ति वह

आदि भक्ति वह

आदि रक्ति वह

और विरक्ति वह


नव पल्लव वह

नव कलिका वह

नव गुंजन वह

नव क्रंदन वह


सृष्टि वही है

स्रष्टा भी वह

दृष्टि वही है

दृष्टा भी वह


“आदि” है वह

अनादि भी वह

“अंत” भी वह

अनंत भी वह


लक्ष्मी है वह

वाणी भी वह

शैलसुता वह

इंद्राणी भी वह


ओज पुंज वह

घन तिमिर वह

नित्य प्रकाशित

चंद्र – मिहिर वह


क्षुधा भी वह

क्षुधित भी वह

तृषा भी वह

तृषित भी वह


मातृ रूप वह

पितृ रूप वह

भ्रातृ रूप वह

मित्र रूप वह


जननी भी वह

दुहिता भी वह

पावन भी वह

पतिता भी वह


बिंदु भी वह

सिंधु भी वह

मलय भी वह

प्रलय भी वह


रक्षक भी वह

रक्षिता भी वह

गर्व भी वह

गर्विता भी वह


मानिनी वह

दामिनी वह

पौरुष की भी

स्वामिनी वह


दुःख कारक वह

दुःख तारक वह

सुख कारक वह

सुख दायक वह


गुणगान नहीं

नारी का –

अभिनंदन बारम्बार करो !

वंदन बारम्बार करो !                        


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract