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राही अंजाना

Abstract

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राही अंजाना

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दिल में घर

दिल में घर

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हर मुश्किल से लड़ने को वो,

 हाथों में नश्तर देता है।


बोल नहीं पाते जो मुख से,

 उनको भी वो स्वर देता है।


चढ़कर तू बातों में सबकी,

 क्यों ओखल में सर देता है।


 छूटे जो तुमसे गम कैसा,

  वो उससे बेहतर देता है।


सोच समझ कर कौन यहां पर,

दिल में राही घर देता है।।


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