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राही अंजाना

Abstract

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राही अंजाना

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वचन

वचन

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खुशनुमा खूबसूरत चमन चाहिए,

    दिल की धरती को छूता गगन चाहिए। 


फिर से करना तुम्हें अब मनाना चाहिए। 

     मुझसे रखनी नहीं अब जलन चाहिए।


कौन कहता है रहना हमें है अलग,

     हमको मरने पे बस इक कफ़न चाहिए।


है अलग क्या बताओ हमारे ये मन, 

    जो समझने को करना जतन चाहिए।


जब कहानी में आये हैं किरदार दो,

    एक दिखना नहीं फिर बदन चाहिए।


गर हो जाओ ख़फ़ा तुम मेरी बात पर,

     याद करना तुम्हें फिर वचन चाहिए।


तुम रहो दूर भी हो मुझे सब खबर,

     ऐसे मन से जुड़ा राही मन चाहिए।।


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