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राही अंजाना

Abstract

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राही अंजाना

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विज्ञान

विज्ञान

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कभी गणित और कभी खोल मैं लेता हूँ विज्ञान,

ऑनलाइन की शिक्षा में बस फंसी हुई है जान।

अंग्रेजी का लिंक कभी, कभी मिले हिंदी का ज्ञान,

मोबाइल में लगा हैड फ़ोन सो गए मेरे कान। 

नेटवर्क का ईशु इतना, के शिक्षक भी परेशान,

सुन लो मेरे बच्चों कहते लगा जोर की तान।।

घर में आकर बैठ गई स्कूल की मेरे शान,

वक्त नहीं जो पल भर को मैं पढ़ लूँ वेद पुराण,

कोरोना ने कटा दिया जैसे स्कूल से मेरा नाम,

न जाने कब लौट के वापस आएगी जान में जान।।



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