बन्धन राखी का
बन्धन राखी का
यूँ तो कितने ही बंधन है जीवन में पर,
रक्षाबन्धन सा कोई भी बन्धन नहीं,
भाई की इक कलाई पे सजता है जो,
बहना के प्यार का रंग रखता है जो,
ऐसा रिश्ता है जिसमें न अड़चन कोई,
होता मासूम है जैसे बचपन कोई,
है निभाना जो हमसे न आया हो वो,
प्रेम धागे सा कोई भी कंगन नहीं,
यूँ तो कितने ही बंधन है जीवन में पर,
रक्षाबन्धन सा कोई भी बन्धन नहीं,
मोल है न कोई बस ये अनमोल है,
इसमे होता नहीं मोल और तोल है,
सुलझे हैं अनगिनत वो सवालात भी,
जिनका हल एक धागा ये बे मोल है।
भाई बहना के संबंध की ये पहल,
इससे ऊँचा न जग में है कोई महल,
हाथ जोड़े करे प्रार्थना हर कोई,
खुशियों से हो भरा बहना का घर कोई,
सच्चे धागे में लिपटा हुआ प्यार है,
ऐसा भाई बहन का ये त्यौहार है॥
यूँ तो कितने ही बंधन है जीवन में पर,
रक्षाबन्धन सा कोई भी बन्धन नहीं,