साकार सपना
साकार सपना
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कौन कहता है कि बेकार हो गया हूँ मैं,
सपना था किसी का साकार हो गया हूँ मैं।
डूबते- डूबते इतना हुनर आ गया है मुझमें,
तैर कर समन्दर के उस पार हो गया हूँ मैं।
इल्जाम इतने लगाये हैं सब ने मिल कर,
तो खुद ब खुद ही गिरफ्तार हो गया हूँ मैं।
कुछ सीखा न समझदारों में रहने के बावजूद,
बेवकूफों से मगर समझदार हो गया हूँ मैं।
सब छोड़ कर चले जाते हैं जहाँ रिश्ते राही,
उन दर ओ दीवार से खबरदार हो गया हूँ मैं।