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डॉ0 साधना सचान

Abstract

4.0  

डॉ0 साधना सचान

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मोल

मोल

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यादों का मोल तो वो जाने

जो भूला नहीं किसी को।

 मोल प्रेम का वो जाने

जो खो बैठा हो किसी को।

मोल दर्द का उससे पूछो

जिसने जीवन काटा यादों में।

विरह व्यथा तो वो जाने

जो रोया सूनी रातों में।

सुख का मोल करे वो कैसे

जिसने दुःख पाया ही नहीं।

अपना पन भला वो क्या जाने

जिसने किसी को अपनाया ही नहीं।

मैं की माया से निकलो

तो बाहर के विस्तार को जानो।

दुनिया की सुंदरता को

मन की आँखों से पहचानो।

     


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