हालात आजकल
हालात आजकल
(हालात आजकल)
कौन कब कहाँ छूटे,
कब कौन कहाँ रूठे,
जीवन के तार टूटे,
ऐसे हालात पले।
एक- एक चल दिये,
बुझते जीवन दिये
मन व्याकुल हो रहा,
कैसे मुस्कान खिले?
बीमारी लाचारी बनी,
दुनिया दुखारी बनी,
नहीं समझ में आये,
ये झंझावात चले।
प्रभु राम रक्षा करें,
सब जन सुखी रहें,
विनती करूँ मैं प्रभु,
दीप खुशी के जलें।