समय
समय
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वक्त के संग चलना है,
सब इसके खिलौना हैं
कहीं खिलता है मधुबन
कहीं सिसका सा है क्रंदन,
कहीं मखमल के गद्दे हैं
कहीं धरती बिछौना है।
जैसा कर्म जो करता
वैसा फल उसे मिलता
वक्त सबकुछ सिखाता है
उसके सामने हर इंसान बौना है ।