डॉ0 साधना सचान
Others
वक्त के संग चलना है,
सब इसके खिलौना हैं
कहीं खिलता है मधुबन
कहीं सिसका सा है क्रंदन,
कहीं मखमल के गद्दे हैं
कहीं धरती बिछौना है।
जैसा कर्म जो करता
वैसा फल उसे मिलता
वक्त सबकुछ सिखाता है
उसके सामने हर इंसान बौना है ।
समय
रक्षाबंधन
अनजानी खताएँ
जीवन रीत
मोल
हालात आजकल
दोहे
जौहर
जीवन संघर्ष