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सीमा शर्मा सृजिता

Abstract Inspirational

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सीमा शर्मा सृजिता

Abstract Inspirational

जीवन के बाद

जीवन के बाद

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मेरी दो आंखें जिनसे देखी मैंने दुनिया 

पढी़ किताबें 

लिखी कवितायें

जो शर्माईं तुम्हारी चाहत में 

मुस्काई मुहब्बत में 

भर आईं पीडा़ में  

जिनमें खींची मैंने

 काजल से लम्बी रेखा 


जो छू आती थीं

 तुम्हारी आंखों को भी 

जिन्हें चूमते थे तुम अक्सर 

जिन पर ठहरती थी तुम्हारी नजर

यूंहीं मत जला देना मेरे साथ 


तुम इन्हें निकाल लेना 

ठीक बंद होने के बाद 

देना किसी ऐसे शख्स को 

जिसके हिस्से में अंधेरा हो 

मैं चाहती हूं उसे रोशनी देना 

मेरी आँखों से वो दुनिया देखे 


नदी, झरना, पहाड़ सबकुछ 

जो आज तक उसने बस महसूस किया 

जो बस सुना था वो सब देखे

सारी दुनिया में बिखेरे मुस्कराहट 


मैं चाहती हूं उसकी आंखों के गड्ढों में बैठ 

खूब चमकूं 

खूब जीऊं 

जीवन के बाद भी ....


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