जंगल की रानी
जंगल की रानी
मेरे गहने कुछ कहते हैं
तस्वीरों में मेरी सजते हैं
लोग कहते हैं बहुत सुंदर हूँ मैं
पर आदि अंश की सुंदरता हूँ मैं
ये जंगल ज़मी पुकारें मुझे
कहां छिप गयीं निहारें मुझे
जिससे कभी मैं इतराती थीं
जिससे मैं कभी रूठ जाती थीं
बस शिकायत मेरी उससे हैं
मेरी तस्वीरें बाजारों में बिकेंगे
मेरे गहने हटाकर मेरी काया बेचेंगे
बात य़ह है मैं आदिकाल की रानी
अब ना बन जाऊँ बीती जुबानी
लेकिन मेरे गहने अब भी कुछ कहते हैं
फ़िर से सजूंँगी तेरी काया में
फ़िर से बनूँगी मैं जंगल की रानी
मेरे गहने कुछ कहते हैं।
