STORYMIRROR

Mithilesh Tiwari "maithili"

Abstract

4  

Mithilesh Tiwari "maithili"

Abstract

पुष्प की आत्मकथा

पुष्प की आत्मकथा

1 min
410

मृदु प्रसून हम दृढ़ पाषाण नहीं।

झेल सके हर तूफ़ानों को।।


शक्ति नहीं ज्वाला से बच जाएँ।

झंझाझकोर हिमपातों को सह जाएँ।।


हम हैं सौम्य सुकोमल पुष्कर।

चक्रवातों को झेलें हैं ये दुष्कर।।


हम तो सिखलाते जग को मुसकाना।

हम सिखलाते कण-कण को महकाना।।


घोलते हमीं प्रकृति में सौरभ।

देते सबको उपहार ये दुर्लभ।।


हैं वो पुष्प जो ईश्वर का गौरव बढाएँ।

मर्दित हुए तो रजकण में मिल जाएँ।।


जीवनदान हमीं देते संसृति को।

मगर मिलता संतप्त ताप हमीं को।।


हैं अभिज्ञान हमें हमारी सीमाओं का।

सत्य भिन्न कुछ क्रिया भिन्न हम दोनों का।।


मगर जीवन मिला नहीं बस मिट जाने को।

हैं ये उपवन कुछ सौरभ बिखराने को।। 


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract