बढ़ी नदी उमंग से, बहे प्रपात धार में मनाएँ पर्व आ सखी, अनंत के विहार में। बढ़ी नदी उमंग से, बहे प्रपात धार में मनाएँ पर्व आ सखी, अनंत के विहार में।
पुष्प अधरों को चूम-चूम कर रहे हैं प्रणय-गुँजार। पुष्प अधरों को चूम-चूम कर रहे हैं प्रणय-गुँजार।
हम तुम और उपवन संग खीलें तराना । सच है प्रेम पावन पंथ सबसे सुहाना।। हम तुम और उपवन संग खीलें तराना । सच है प्रेम पावन पंथ सबसे सुहाना।।
मानवता की रास थामकर, उस पर प्रेम आरुढ़ कराकर। भाईचारे के अश्वों को, नैतिकता का पाठ पढ़ाकर।। समता-म... मानवता की रास थामकर, उस पर प्रेम आरुढ़ कराकर। भाईचारे के अश्वों को, नैतिकता का ...
दिनकर मज्जन कर प्रभा, लगती नित्य ललाम। रंग नदी में घोलता, रवि क्रीड़ा अभिराम। तरुवर नव कोंपल धरे... दिनकर मज्जन कर प्रभा, लगती नित्य ललाम। रंग नदी में घोलता, रवि क्रीड़ा अभिराम। ...
रूप अनेकों नारी के हैं, उनसे होली तीज दिवाली। रूप अनेकों नारी के हैं, उनसे होली तीज दिवाली।