नारी
नारी
रूप अनेकों नारी के हैं, उनसे होली तीज दिवाली ।
भिन्न-भिन्न व्यंजन देती है, और भरे पूजा की थाली ।
आँगन में वे कोकिल जैसी ,हर्षित उर की डाली झूमे ...
पितु की प्यारी है बेटी वे,कहते वे घर तुम बिन खाली।।
रूप अनेकों नारी के हैं, उनसे होली तीज दिवाली ।
भिन्न-भिन्न व्यंजन देती है, और भरे पूजा की थाली ।
आँगन में वे कोकिल जैसी ,हर्षित उर की डाली झूमे ...
पितु की प्यारी है बेटी वे,कहते वे घर तुम बिन खाली।।