करे विभा पर एक उपकार थल उच्छावित निर्झरश्वास करे विभा पर एक उपकार थल उच्छावित निर्झरश्वास
दिनकर मज्जन कर प्रभा, लगती नित्य ललाम। रंग नदी में घोलता, रवि क्रीड़ा अभिराम। तरुवर नव कोंपल धरे... दिनकर मज्जन कर प्रभा, लगती नित्य ललाम। रंग नदी में घोलता, रवि क्रीड़ा अभिराम। ...
कुछ पर्ण हवा संग जाने कहां उड़ चले। कुछ पर्ण हवा संग जाने कहां उड़ चले।