अभी साल भर ही तो बीता है विछोह को अपने अरमानों को सफेदी में लपेट जी भर के रोती है मेरी साठ साल की ... अभी साल भर ही तो बीता है विछोह को अपने अरमानों को सफेदी में लपेट जी भर के रोती ...
कितनी कोशिश करती हूं फिर भी बस तुम्हारी कमी महसूस होती हैं ये कैसा अदभुत सा खेल हैं जीवन का मा... कितनी कोशिश करती हूं फिर भी बस तुम्हारी कमी महसूस होती हैं ये कैसा अदभुत स...
ऐसी ही हुतात्माएं जो हैं, भारत को सही रखतीं हैं! ऐसी ही हुतात्माएं जो हैं, भारत को सही रखतीं हैं!
मैं वापस जमीन पे गिर जाता रेंगता रेंगता तुझे ढूँढता तेरी बिछोह मे आखरी साँसें गिनता मैं वापस जमीन पे गिर जाता रेंगता रेंगता तुझे ढूँढता तेरी बिछोह मे आखरी ...
अब तो नहीं मैं रह सकूँगी, विछोह को ना सह सकूँगी ! आप जो अब फिर न आए, प्राण को मैं अप अब तो नहीं मैं रह सकूँगी, विछोह को ना सह सकूँगी ! आप जो अब फिर न आए, प्...
भरा पूरा परिवार किंतु मैं लाचार , सहारा थी जिनका आज उनके सहारे का मोहताज हो गई। भरा पूरा परिवार किंतु मैं लाचार , सहारा थी जिनका आज उनके सहारे का मोहताज हो ग...