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Himanshu Sharma

Inspirational

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Himanshu Sharma

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एक हुतात्मा की कथा

एक हुतात्मा की कथा

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क्या कभी सुना है कि,

मृत्यु भी होती है पर्व?

क्या कभी किसी का,

विछोह दे जाता है गर्व!


उन पनीली आँखों में,

बहुत दुःख है विरह है!

पत्नी की आँखें नम है,

जाना उनका असह है!


बेटा भी तय कर चुका है,

कि वो फ़ौज में जाएगा!

पिता की तरह ही वो भी,

बहुत ही नाम कमायेगा!


बेटी का हाल बुरा है रोकर,

वो भी अब टूट चुकी है!

पिता के आने की आस,

अब पूरी तरह छूट चुकी है!


पर वो भी तय कर चुकी है,

सेना को सहायता देगी!

छोटी है, बड़ी होकर वो भी,

सैन्य बल में प्रवेश लेगी!


ऐसी ही हुतात्माएं जो हैं,

भारत को सही रखतीं हैं!

भारत की रक्षा से ऊपर,

स्व-प्राण भी नहीं रखतीं हैं!


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